कविता
मजहब के नाम पर जब होते हैं दंगे
मजहब के नाम पर जब होते हैं दंगे
चालाक बने फिरते हैं धूर्त लफंगे
किसी मजहबी दंगे में कोई
हिन्दू नहीं मरता
न सिख ही मरता है
न कोई मुसलमा ही मरता
मरता है कोई तो वह आदमी होता है
किसी मजहबी दंगे में
किसी मजहबी दंगे में
कोई मजहब नहीं मरता ।
दिवेश कुमार शर्मा ,अमन नगर PATIALA
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